Shine Delhi

Home

विलुप्त होती कला को सरस आजीविका मेले में प्रदर्शित कर रही हैं मारिया बाई


पहली बार सरस आजीविका मेला में लद्दाख राज्य भी हुआ है शामिल

नई दिल्ली : जैसे जैसे विश्व व्यापार मेला अपने समापन की ओर बढ़ रहा है वैसे वैसे लोगों की भीड़ भी सरस आजीविका मेला में बढ़ती जा रही है। गुजरात के कच्छ से आई हुईं बेल एंड क्राफ्ट एसएचजी की मारिया बाई ने बताया कि हमारे एसएचजी में कुल दस महिलाएं हैं जो कि मेटल बेल्स की विलुप्त होती हुई कला को बिखेर रही हैं। उन्होंने बताया कि मेटल बेल्स में विंड चैम्प्स, झूमर लटकन आदि बनाती हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि इन बेल्स को अपने घरों में लगाने से पाजिटिव एनर्जी आती हैं। वहीं, कच्छ से ही आई हुईं श्रीशक्ति मिशन मंगलम एसएचजी की भावना बेन वनकर ने बताया कि इनके पास भी गुजरात के अच्छे सामानों की मौजूदगी है।

साथ ही हाल ही में बने लद्दाख राज्य से आई हुईं थुंडिल एसएचजी की इशे डोलमा ने बताया कि उनके साथ कुल दस महिलाएं काम करती हैं, उन्होंने बताया कि हमारे पास ड्राई फ्रुट, वुलेट हेंड निटिट आईटम्स, एप्रीकोट आयल, एपल्स, वुड कारविंग आदि के सामान हैं। वहीं, लद्दाख से ही आई हुईं हलीमा बानो ने बताया कि उनके स्करचन एसएचजी में भी लद्दाख के कुर्ते, एपल्स आदि सामान हैं। उन्होंने बताया कि यहां बिक्री बहुत अच्छी रही और यही कारण है कि अब हमारे पास बहुत कम ही सामान बचे हुए हैं। हम चाहते हैं कि आगे भी ऐसा आयोजन होता रहे ताकि हम अपने मशहूर आईटम को देश के हरेक कोने और विदेशों में भी पहुंचा सकें।

वहीं, सरस आजीविका मेला 2021 में आज भी लोगों की दिन भर भीड़ लगी रही। लोगों ने इस दौरान जमकर खरीदारी की। कर्नाटका से आई हुई महिला स्वसाया संघ बिस्मिल्लाह की आईसा ने बताया कि हमारे एसएचजी में कुल बीस महिलाएं हैं जो मैसूर इनले (वुडेन कार्बिन) की राधा कृष्ण मूर्ति, हनुमान, अष्टलक्ष्मी समेत अन्य चीजों की भी कलाकिर्तियां बनाती है। मैसूर इनले में इनके यहां हजार रुपये से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक के प्रोडक्ट हैं। इसके साथ ही ये सभी महिलाएं अगरबत्तियां और परफ्यूम, सेंडल सोप आदि भी बनाती है। इनके यहां के प्रोडक्ट की खासियत यह है कि ये सभी काम चंदन (सेंडल) से ही करती हैं। वहीं, परफ्यूमम औऱ अगरबत्ती के प्रोडक्ट डेढ़ सौ रुपये के भी हैं।

वहीं, राजस्थान के बीकानेर से आई हुई आनंदराज एसएचजी ग्रुप की तीजां ने बताया कि हमारे समूह में कुल तेरह महिलाएं हैं, जो हमारे साथ मिलकर पापड़, मुगोड़ी, अचार, नमकीन, खाखरा, चना चटपटा, चना लहसन, मूंग मशाला आदि के विभिन्न प्रकार हैं। इसकी कीमत तीन सौ से लेकर छह सौ रुपये तक के सामान हैं।

सरस आजीविका मेला के दौरान देश भर के 30 राज्यों के हजारों उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री होगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा यह एक मुहिम की शुरुआत की गई है जिससे कि हमारे देश के हस्तशिल्पियों और हस्तकारों को कोरोना के बाद एक बार फिर से अपनी रोजगार शुरु करने का मौका मिल सके। इसके साथ ही इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया आत्मनिर्भर भारत का संकल्प व वोकल फॉर लोकल अभियान को बढ़ावा मिल सके।


Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *