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सपनों के आर-पार है ज्ञान की गंगा


  • दीपक दुआ

हिन्दी फिल्म पत्रकारिता की विधा को अपने सशक्त कंधों पर उठा कर प्रतिष्ठा के शिखर पर स्थापित करने वालों में श्रीश चंद्र मिश्र का नाम पूरे सम्मान के साथ लिया जाता है। 1953 में दिल्ली में जन्मे श्रीश जी ने पहले दिल्ली प्रैस और फिरजनसत्तामें नौकरी की।जनसत्तामें रहते हुए सिनेमा, क्रिकेट अन्य विषयों पर सधे हाथों से लिखते हुए उन्होंने जाने कितने ही लोगों को फिल्म पत्रकारिता के क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद भी की।

स्थानीय संपादक के पद से रिटायर होने के बाद भी उनकी सक्रियता बरकरार थी और वह अपने लेखों के संग्रह पर काम कर रहे थे लेकिन 2021 में क्रूर नियति ने उन्हें छीन लिया। उनके जाने के एक बरस बाद अब उनकी बेटी शुभ्रा मिश्र के संपादन में उनकी पुस्तकसपनों के आरपारप्रकाशित हुई है। तीन सौ से भी अधिक पन्नों वाली इस पुस्तक में अपने 62 लेखों के जरिए श्रीश जी पाठकों को सिनेमा की सपनीली दुनिया के आरपार ले जाने का काम बखूबी करते हैं। संधीस प्रकाशन से आई यह किताब सिनेमा के चितेरों के लिए एक जरूरी दस्तावेज की तरह है।


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