नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर रह चुकी जानी-मानी राष्ट्रीय कवयित्री वंदना यादव ने अपनी कविता ‘संवेदनहीनता’ और ‘सत्य की जीत’ के जरिए मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक मूल्यों से जुड़े सवाल उठाए।
हिंदी पखवाड़े के तहत हिंदी अकादमी और दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित कवयित्री सम्मेलन में कवयित्रियों ने समां बांध दिया। खासतौर से नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर रह चुकी जानी-मानी राष्ट्रीय कवयित्री वंदना यादव ने अपनी कविता ‘संवेदनहीनता’ और ‘सत्य की जीत’ के जरिए मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक मूल्यों से जुड़े सवाल उठाए। अपनी कविता ‘संवेदनहीनता’ के जरिए वंदना यादव कहती हैं , ‘आर्थिक हैसियत तय करती है रिश्ते की गर्माहट, शान-ओ-शौकत पैदा करती है अपनेपन की मर्यादा, आप किसी के कितना काम आ सकते हैं- इस बात से तय होते हैं आपके संबंध।’
पत्रकार, मीडिया शिक्षाविद् और राष्ट्रीय कवयित्री वंदना यादव हिंदी के महत्व को रेखांकित करते हुए ग्रामीण इलाके के छात्रों की पीड़ा को स्वर देती हुई कहती हैं, ‘’अंग्रेजी भाषा जिसे जरूरत से ज्यादा अहमियत दी गई और हिंदी की हर कदम पर अनदेखी की गई, इस परिपाटी ने प्रतिभा का बेड़ा गर्क कर दिया, विषय सीखने और भाषा सीखने की दोहरी चुनौती ने छात्रों का जीवन नर्क कर दिया।‘’ कवयित्री वंदना यादव ने कविता ‘सत्य की जीत’ के जरिए समाज को संदेश दिया कि ‘पूरी दुनिया एक तरफ, अटूट विश्वास एक तरफ, नियमों की कसौटी पर सत्य परेशान होता है- पर अकेला नहीं होता, गुरु का आशीर्वाद पथ को प्रकाशित करता है, जग में अंतत:- जीतता है सत्य।’
इस कवयित्री सम्मेलन में सुश्री वंदना यादव के अलावा मशहूर कवयित्री डॉ. मधु मोहिनी उपाध्याय, सुश्रीसुश्री भावना तिवारी और सुश्री नमिता शर्मा ने भी अपना काव्य पाठ किया। इस अवसर पर हिंदी अकादमी के सचिव डॉ. जीतराम भट्ट, आकाशवाणी में करीब 30 सालों से कार्यरत मशहूर समाचारवाचिका सुश्री चंद्रिका जोशी और नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ जर्नलिज्म में असिस्टेंट प्रोफेसर राष्ट्रीय कवि और वरिष्ठ टीवी पत्रकार आदर्श कुमार भी मौजूद थे।