अंगदान से चार लोगों को मिला नया जीवनदान और एक व्यक्ति को मिला नेत्रज्योति का लाभ
• मृतक के शरीर से पांच अंगों को सुरक्षित रूप से निकालकर अलग-अलग अस्पतालों को दान किया गया ताकि अनेक जीवन बचाए जा सकें
• मृतक के परिवार के इस फैसले ने एक फिर मानवता के प्रति भरोसा जगाया है, अंगदान कर दिया साहस का परिचय
• मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पीटल ने अंगदान का परोपकारी कदम उठाने वाले परिवार के प्रति जताया हार्दिक आभार
दिल्ली एनसीआर : अपने परिवार के युवा सदस्य को ब्रेन स्ट्रोक का शिकार बनने के बाद खो चुके एक परिवार ने असाधारण साहस और मानवीय भावना का परिचय देते हुए मृतक के अंगों को दान करने का फैसला किया और इसके परिणामस्वरूप कई लोगों को नया जीवनदान दिया है। जयेशभाई पटेल, जो कि एक फैक्ट्री में काम करते थे, गिरने के बाद घायल हो गए थे और इलाज के लिए मैरिंगो सीआईएमएस अस्पताल लाए जाने पर डॉक्टरों ने उन्हें ‘ब्रेन डैड’ घोषित कर दिया।
मृतक के परिजनों ने अपने निजी दु:ख की इस घड़ी में भी साहस और मानवीय परोपकार का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उनके अंगों को दान करने का फैसला किया। उनके इस फैसले से चार मरीज़ों को नया जीवनदान मिला है जबकि एक अन्य की नेत्रज्योति बहाल हुई है। मृतक के शरीर से एक गुर्दा (किडनी), दो फेफड़े (लंग्स) तथा दो कॉर्निया और एक जिगर (लिवर) को निकाला गया। इन अंगों को मृतक के शरीर से लिए जाने के बाद चार अलग-अलग राज्यों में इन्हें उन मरीज़ों तक पहुंचाया गया जो अंगदान के इंतज़ार में थे। इस परिवार ने अपने मृत सदस्य के अंगों को दान करने की मंजूरी देकर न सिर्फ साहस दिखाया बल्कि मानवता के प्रति भी भरोसा जगाया है। मैरिंगो एशिया हैल्थकेयर में, हमारा मानना है कि हर मिनट बेशकीमती है, और हर जीवन महत्वपूर्ण है। अंगदान के मामले में समय पर फैसला करना मरीज़ों की जान बचाने में काफी अहम् भूमिका निभाता है।
उल्लेखनीय है कि मैरिंगो सीआईएमएस अस्पताल में हृदय, फेफड़े, गुर्दे और जिगर जैसे अंगों की प्रत्यारोपण प्रक्रियाओं के उपलब्ध होने के चलते यह भारत में अंगदान के लिहाज़ से पसंदीदा मंजिल बनता जा रहा है।
डॉ राजीव सिंघल, संस्थापक सदस्य, प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मैरिंगो सीआईएमएस अस्पताल ने कहा, ”मैरिंगो एशिया हैल्थकेयर मृतक के परिजनों का आभारी है जिन्होंने अपार दु:ख की इस घड़ी से ऊपर उठकर अपने परिवार के इस सदस्य के अंगों को दान करने का फैसला लिया जिसके परिणामस्वरूप कई जिंदगियां बचायी जा सकी हैं। हम उन सभी परिवारों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन करते हैं जो अपने दु:ख भुलाकर मृत परिजन के अंग दान करने का फैसला लेते हैं। हर साल कितने ही मरीज़ों की मृत्यु अंगदान के इंतज़ार में हो जाती हैं। अंगदान से हर साल भारत में 500,000 लोगों की जान बचायी जा सकती है। जब परिवार इस प्रकार के मानवीय कर्म के लिए आगे आते हैं, तभी अंगदान जैसे प्रयासों को और मजबूती मिलती है। हम लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि हर साल हजारों लोगों का जीवन बचाया जा सके।”
मरीज़ के परिजनों ने कहा, ”हमें यह महसूस हुआ कि अंगदान जैसी पहल से कई लोगों की जान बचायी जा सकती है। हमें यह सोचकर खुशी मिल रही है और हम इसी कारण प्रोत्साहित भी हुए हैं कि जयेशभाई पटेल उन लोगों के रूप में जीवित रहेंगे जिन्हें उनके अंग मिले हैं।”
अंगदान की घटनाएं बढ़ने से अधिकाधिक जीवन बच सकते हैं। भारत दुनिया के उन प्रमुख देशों में से एक है जहां अंगदान सबसे अधिक होता है, लेकिन अभी हमें इस क्षेत्र में बहुत कुछ करना है। भारत में मरीज़ों की जान बचाने के लिए आवश्यक अंगों की मांग और दान किए गए अंगों के बीच भारी अंतर मौजूद है। भारत में अंगदान धीरे-धीरे बढ़ रहा है, तो भी इस बारे में जागरूकता की कमी है और लोगों के धार्मिक विश्वास, अध्यात्मिक सोच, अंगदान को लेकर नकारात्मक मानसिकता जैसे अनेक कारणों के चलते फिलहाल यह प्रक्रिया काफी धीमी है। पिछले दिनों इस विषय में जागरूकता बढ़ाने जैसी गतिविधियों के परिणामस्वरूप इस परोपकारी काम में कुछ हद तक तेजी देखी गई।