कलाकार : प्रवीन हिंगोनिया, दयानंद शेट्टी, रेवती पिल्लई सुनीता महेश शर्मा , प्राची सिन्हा, अमरदीप झा ,श्रेया, जय शंकर त्रिपाठी और स्वर हिंगोनिया
रेटिंग – 4*
आप किसी हस्ती के साथ मिलने “या अपना कोई प्रस्ताव रखने से पहले सौ बार सोचते है कि मेरे प्रस्ताव में इतना दम खम है कि अपना प्रस्ताव किसी बड़ी हस्ती के सामने रखूं लेकिन इस फिल्म के निर्माता निर्देशक ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एप्रोच किया कि वह इस फिल्म को देखे , क्योंकी इस फिल्म में कई ज्वलंत सामाजिक और महिलाओं पर शोषण के मुद्दे पूरी ईमानदारी के साथ पेश किए गए हैं।
मुझे अहसास हुआ कि यह फिल्म चालू बॉक्स ऑफिस मसाला फिल्मों से दूर हैं । निर्देशक और इस हीरो प्रवीण हिंगोनिया ने अपनी इस फ़िल्म में नौ अलग अलग किरदार निभाकर कमल हासन और संजीव कुमार को ट्रिब्यूट पेश किया है। फिल्म ‘नया दिन नई रात’ में संजीव कुमार ने नौ रोल तो कमल हासन ने फिल्म दशावतारम में दस क़िरदार निभाए थे।
चंबल इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में इस फिल्म को तीन अवार्ड मिले जिनमें बेस्ट फीचर फिल्म, सपोर्टिंग ऎक्ट्रेस रेवती पिल्लई और सपोर्टिंग ऎक्टर स्वर हिंगोनिया को दिया गया। स्वरध्रुपद प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फ़िल्म को प्रवीण हिंगोनिया के साथ एसकेएच पटेल ने प्रोड्यूस किया है।
इस मौके पर चंबल इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में नवरस फ़िल्म को तीन अवार्ड मिले जिनमें बेस्ट फीचर फिल्म, सपोर्टिंग ऎक्ट्रेस रेवती पिल्लई और सपोर्टिंग ऎक्टर स्वर हिंगोनिया को दिया गया। स्वरध्रुपद प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फ़िल्म के सह निर्माता अभिषेक मिश्रा हैं।
करीब ढाई घंटे की इस फिल्म को देखने के बाद इस फिल्म के मेकर को सैल्यूट किया कि उन्होंने अपनी फिल्म की शूटिंग कश्मीर से लेकर मोहब्बत की नगरी आगरा तक की ऐसा कोई नामी बैनर भी नहीं कर पाता । फिल्म में पांच गीत है और सभी गीतों में एक अलग संदेश हैं।
मेरी नजर में यह एक ऐसी फ़िल्म बनी है जिसके मेकर चाहते है कि समाज मे कुछ परिवर्तन आए, युवा पीढ़ी को कुछ सीखने के लिए बाध्य करे। अगर आप फिल्म देखेंगे तो आपको लगेगा कि इस फ़िल्म के लिए हर किसी ने बहुत तैयारी की । फिल्म के टाइटल से आप समझ सकते है फिल्म में अलग अलग रस की नौ कहानियां है। सो हम इन अलग अलग स्टोरीज पर बात न करके फिल्म पर बात करते है।
अक्सर मुंबई के टॉप बैनर भी फिल्म रिलीज से पहले दिल्ली मुंबई या एक आध और बड़े सिटी में आते है अपनी फ़िल्म का प्रोमोशन करके निकल जाते है लेकिन इस फिल्म को कई छोटे बड़े शहरों में पूरी टीम ने प्रमोट किया। एक अनुभवी क्रिटिक के नजरिए से फिल्म को देखूं तो फिल्म में कई कमियां है इसका बड़ा कारण फिल्म का सीमित बजट ही रहा। इसलिए इन्हें नजरअंदाज करके देखा जाए तो बस एक शब्द काफी है अद्भुत फिल्म आप अकेले नहीं आपके अपनो दोस्तो के साथ फिल्म देखने जाए,हां ऐसी फिल्मों से सिनेमा मालिक कन्नी काटते है तो कोई बात नहीं नजदीकी नहीं तो कुछ दूर इस फिल्म को देखकर आए, कुछ हासिल करके ही हाल से बाहर आयेंगे। काश , ऐसी साफ सुथरी फिल्म को देश की सभी सरकार रिलीज से पहले टैक्स फ्री करे, दूरदर्शन पर दिखाए।