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फिल्म रिव्यू : एक असफल इंसान के हीरो बनने की कहानी है : जर्सी


  • के. कुमार
  • कलाकार : शाहिद कपूर, मृणाल ठाकुर, पंकज कपूर, रोनित कामरा।
  • डायरेक्टर : गौतम तिन्ननुरी।
  • अवधि :2 घंटे 54 मिनट।
  • स्टार : 3 स्टार।

बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जिनको मेहनत के बाद भी कामयाबी मिलती है, लेकिन यह तय है कि यदि मेहनत ही नहीं करोगे तो कामयाबी कैसे मिलेगी? जी हां फिल्म जर्सी की कहानी भी ऐसे ही एक कामयाब आदमी की कहानी है, जिसका नाम है अर्जुन तलवार, जिसको बाखूबी निभाया है, शाहिद कपूर ने। फिल्म ‘जर्सी’ खेल, मेहनत, प्रेरणा और पारिवारिक प्यार और जुड़ाव की कहानी को दर्शाती है, की कैसे एक असफल इंसान अपने संयम और मेहनत से अपनी जिंदगी की परवाह करे बगैर बुलंदियों पर पहुंच जाता है।

बता दें कि फिल्म ‘जर्सी’ निर्देशक गौतम तिन्ननुरी की 2019 में बनी फिल्म ‘नानी स्टारर नैशनल अवॉर्ड’ प्राप्त की हिंदी रीमेक है। अब गौतम फिर ‘जर्सी’ के रूप में इस कहानी का बड़े पर्दे पर उतारा है।

सिनेमा के पर्दे पर फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है, अर्जुन तलवार के बेटे से जो एक बुक स्टॉल पर अपने पिता पर लिखी बुक खरीदने जाता है, जहां, दो लड़कियां वहीं बुक खरीदने आती हैं, लेकिन सारी कॉपी बिक जाने के कारण उनको बुक नहीं मिलती, तो अुर्जन तलवार का बेटा वही कॉपी उनको देता है, जहां से कहानी फैलेशबैक में जाती है और शुरू होती है एक शानदार क्रिकेटर अर्जुन तलवार (शाहिद कपूर) एक कामयाब रणजी खिलाड़ी होता था, जो अपने करियर की सफलता के दौर में किसी वजह से क्रिकेट खेलना छोड़ देता है, क्योंकि उसकी एक पत्नी विद्या (मृणाल ठाकुर) और बेटा (रोनित कामरा) है, जिनसे वो बहुत प्यार करता है और एक सिंपल लाईफ व्यतीत करता है। वह क्रिकेट छोड़ एफसीआई में नौकरी करने लगता है, लेकिन एक झूठे स्कैण्डल के चलते उसको नौकरी से संस्पेंड कर दिया जाता है। पैसों की तंगी की वजह से वह अपनी पत्नी की नजरों में नाकरा बन चुका है, और रुपयों की तंगी की वजह से गुमसुम रहने लगता है। लेकिन वहीं वह अपने बेटे के लिए एक आदर्श पिता है। उसकी पत्नी विद्या एक होटल में जॉब करती है, और घर का सारा खर्चा वहन करती है। अुर्जन की आर्थिक तंगी का यह आलम हो जाता है कि वह अपने बेटे किट्टू को उसके जन्मदिन पर 500 रुपए की इंडियन टीम की जर्सी काफी कोशिश करने के बाद भी भी गिफ्ट नहीं दे पाता, जिसके चलते वह बेहद शर्मिंदा होता है। लेकिन वह अपनी पत्नी और बेटे की नजरों में नाकारा नहीं बनना चाहता और अपने आत्मबल को फिर से मजबूत कर 36 साल की उम्र में एक बार फिर क्रिकेट की पिच पर उतरता है। फिर अुर्जन की जिंदगी में क्या उतार-चढ़ाव होता है, इसके लिए आपको यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए।

फिल्म ‘जर्सी’ की कहानी में शाहिद ने अुर्जन के किरदार का बाखूबी निभाया है, यह उनकी खासियत है कि शाहिद फिल्म कम करते हैं, जब करते हैं तो अपनी दमदार छाप छोड़ जाते हैं। शाहिद ने एक क्रिकेटर के रूप, एक पिता के रूप में, एक पति के रूप में अपने को बाखूबी निभाया है। फिल्म में दर्शकों को इमोशन प्यार और खेल तीनों चीजे देखने को मिलती है। खासकर पत्नी-पत्नी और बेटे के रिशते का गहरा प्यार। वहीं शाहिद के रियल लाईफ के पिता पंकज कपूर कहानी में कोच की भूमिका में एकदम फिट लग रहे हैं। जिनके प्रोत्साहन से अर्जुन वापस क्रिकेट की पिच पर उतरता है।

वहीं पत्नी के रूप में विद्या (मृणाल ठाकुर) ने अपने अभिनय को पूरी निष्ठा के साथ निभाया है। फिल्म की कहानी आपको बांधे रखती है। लेकिन फिल्म की लंबाई ज्यादा होने के कारण कहीं-कहीं पर क्रिकेट के दृश्यों के चलते कुछ बोरिंग सी लगने लगती हैं। लेकिन फिल्म देखते हुए आप पूरी फिल्म में इमोशन और प्यार के दृश्यों में खो जाते हैं।

फिल्म में गानों की यदि बात करें तो ‘मैय्या मेनू और मेहरम’ और ‘बलिये रे’ गाने देखने सुनने में आनंदित करते हैं। तो कुल मिलाकर यह फिल्म जिंदगी के आदर्शों, मेहनत और सफलता, प्यार, इमोशन, खेल, पारिवारिक रिश्तों की मजबूती की सीख देती है। प्यार और परिवार के रिश्तों का जानने और समझने की कहानी भी है यह फिल्म, तो हर उम्र के दर्शकों को जरूरी देखनी चाहिए फिल्म ‘जर्सी’।


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