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गर्मियों के दिनों में हमे काफी हेल्थ प्रॉब्लम्स होती है, ऐसे में मिटटी का पानी का मटका आपकी समस्या को दूर कर सकता है. आयुर्वेद में मटके के पानी को शीतल, हल्का, स्वच्छ और अमृत के समान शुद्ध बताया गया है. यह प्राकृतिक जल का स्रोत है जो ऊष्मा से भरपूर होता है और शरीर की गतिशीलता बनाये रखने के साथ ही शीतलता भी प्रदान करता है. आइये जाने मटके के पानी की उपयोगिता के बारे में.
- इस पानी को पीने से थकान दूर होती है.
- इसे पीने से पेट में भारीपन की समस्या भी नहीं होती.
- मटके की मिट्टी कीटाणुनाशक होती है जो पानी में से दूषित पदार्थो को साफ करने का काम करती है.
- सुबह के समय इस पानी के प्रयोग से दिल और आंखों की सेहत दुरूस्त रहती है.
- गला, भोजननली और पेट की जलन को दूर करने में मटके का पानी काफी उपयोगी होता है.
- प्राकृतिक ठंडक का देता है
मटका का पानी उन दिनों में ठंडा पानी प्रदान किया जब कोई रेफ्रिजरेटर नहीं था. ये बर्तन वाष्पीकरण के सिद्धांत पर काम करते हैं, जो पानी को ठंडा करने में मदद करता है. जैसा कि मिट्टी के बर्तन झरझरा है तो इसकी खासियत यह है कि यह पानी को धीरे-धीरे ठंडा करता है. ऐसी खासियत किसी अन्य बर्तन में नहीं हो सकता है.
गले के लिए है अच्छा
फ्रिज का पानी बहुत ठंडा होता है और बाहर रखा पानी बहुत गर्म होता है. इस दौरान गर्मियों में मटका का पानी ही सबसे अच्छा होता है. इसकी सही शीतलन प्रभाव गले के लिए अच्छा होता है. इसके अलावा खांसी से पीड़ित लोगों द्वारा आसानी से मटके का पानी सेवन किया जा सकता है.
लू से है बचाता
सनस्ट्रोक या लू एक बहुत ही आम समस्या है जो गर्मियों में बहुत से लोगों को लगती है. मिट्टी के बर्तनों में रखे पानी में विटामिन और खनिज शरीर के ग्लूकोज के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है. यह आपके शरीर को ठंडक प्रदान करता है.
प्रकृति एल्कलाइन प्रदान करता है
प्रकृति रूप से मानव शरीर अम्लीय होता है, जबकि मिट्टी क्षारीय है. आपके द्वारा सेवन किए जाने पर इन क्षारीय बर्तनों का पानी हमारे शरीर की अम्लीय प्रकृति के साथ प्रतिक्रिया करता है और एक उचित PH संतुलन बनाने में मदद करता है. यही कारण है कि मटका पानी पीने से एसिडिटी और पेट की समस्याओं को दूर रखने में मदद मिलती है.
मेटाबॉलिज्म को है बढ़ाता
जब हम प्लास्टिक की बोतलों में जमा पानी पीते हैं, तो उसमें बिस्फेनॉल ए या बीपीए जैसे जहरीले रसायन होते हैं, जो शरीर को कई तरह से नुकसान पहुँचाते हैं. कहा जाता है कि यह टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करता है और इसे अंतःस्रावी अवरोधक भी कहा जाता है. वहीं मिट्टी के बर्तन का पानी पीने से टेस्टोस्टेरोन का स्तर संतुलित रहता है और यहां तक कि आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म में भी सुधार लाता है.