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चतुर्थ स्वरूप माता कूष्माण्डा


करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी
शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः

मं दुर्गा के चौथे स्वरूप का नाम कूष्माण्डा है। अपनी मंद मुस्कान द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के नाम से अभिहित किया गया है। अतः यही सृष्टि की आदि स्वरूपा और आदि शक्ति हैं। इनका निवास सूर्यलोक में है। इन्हीं के तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। मां कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक विनष्ट हो जाते हैं।

अष्टभुजा देवी : मां कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं।


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