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भारतीय तिरंगा हमारे देश के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है


अपने राष्ट्रीय झंडे को नमन करें

भारतीय तिरंगा हमारे देश के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। भारतीय झण्डा संहिता, 2002 के अनुसार, आम जनता, गैर सरकारी संगठनों और शैक्षणिक संस्थाओं आदि के द्वारा राष्ट्रीय झंडा के फहराने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। लेकिन ऐसा करते समय, राष्ट्रीय झंडे के गौरव और सम्मान को बनाए रखने के लिए कुछ सिद्धांतों का पालन जरूर करना चाहिए जैसे-

1. राष्ट्रीय झंडे को हमेशा सम्मानजनक स्थिाति में पृथक रूप से फहराया जाना चाहिए।
2. इसे हमेशा ‘केसरिया’ रंग को ऊपर रखते हुए फहराया जाएगा।
3. इसे एक ही डंडे पर किसी अन्य झंडे के साथ नहीं फहराया जाना चाहिए।
4. झंडे का प्रयोग फूलों का गुच्छा या पताका या बन्दरवार बनाने या किसी अन्य प्रकार की सजावट के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
5. फटा हुआ अथवा मैला कुचैला झण्डा प्रदर्शित नहीं करना चाहिए।
6. जहां तक संभव हो, झंडे का आकार भारतीय झंडा सहिता 2002 में निर्धारित मानकों के अनुरूप होना चाहिए।
7. जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसका निपटान झंडे की मर्यादा के अनुकूल एकांत में किया जाना चाहिए।
8. जब झंडे को खुले में प्रदर्शित किया जाए तो, जहां तक संभव हो, इसे सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहरया जाना चाहिए, चाहे मौसम कैसा भी क्यों न हो।
9. झंडे का प्रयोग किसी व्यावसायिक प्रयोजन के लिए नहीं किया जाए।
10. महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर जनता द्वारा कागज के बने झंडे का प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन ऐसे कागज के झंडे को समारोह के पश्चात न तो तिरस्कृत किया जाना चाहिए और न ही जमीन पर फेंका जाना चाहिए। जहां तक संभव हो, इनका निपटान झंडे की मर्यादा के अनुकूल एकांत में किया जाना चाहिए।
पलास्टिक से बने झंडे का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि ये कागज के झंडों की तरह बायोडिग्रेडबल नहीं होते। इसके अतिरिक्त, प्लास्टिक के बने झंडों का गरिमापूर्ण तरीके से निपटान करना एक समस्या है।


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