- 10 साल पहले एक रोड एक्सीडेंट होने की वजह से, मरीज़ को एलीफैंटियासिस (हाथीपांव/लिम्फेडर्मा) हो गया।
- सुपर-माइक्रोसर्जरी ने बीमारी को ठीक करने में की मदद, पैरों का आकार कम होकर आधा हो गया
नई दिल्ली : चालीस साल के अमित कुमार ने, लगभग दस साल पहले बाएं पैर में चोट लगने से एलीफैंटियासिस हो जाने के बाद, सामान्य ज़िन्दगी में वापस आने की सभी उम्मीद छोड़ दी थी। उन्होंने दिल्ली-एनसीआर में कई अस्पतालों का चक्कर लगाया और उनसे बार-बार कहा गया कि उनकी इस कंडिशन को ठीक करने के लिए कुछ भी नहीं किया जा सकता है।
वो मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज में एक माइक्रोसर्जिकल तकनीक के ज़रिए इलाज कराने गये, क्योंकि ये उनकी इस बिगड़ती कंडिशन को ठीक करने की एक आखरी और इकलौती उम्मीद थी। माइक्रोसर्जरी के बाद, उनके बाएं पैर की सूजन को कम करने के लिए कई रिडक्शन सर्जरी और नॉन सर्जिकल प्रयासों के बाद अब उनके पैर का वजन घटकर 25 किलोग्राम हो गया है जो पहले 45 किलोग्राम था। जब अमित पहली बार हॉस्पिटल आये तो उनका पैर गोलाई में 120 सेंटीमीटर था। जो की घटकर 65 सेंटीमीटर हो गया है, जबकि सामान्य व्यक्ति के पैर गोलाई में 35 से 40 सेमी तक होती हैं।”
डॉ मनोज जौहर, सीनियर डायरेक्टर के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम और डिपार्टमेंट ऑफ एस्थेटिक, रिकंस्ट्रक्टिव एंड प्लास्टिक सर्जरी, मैक्स हॉस्पिटल, पटपड़गंज, के उनके सहयोगी प्रिंसिपल कंसल्टेंट, डॉ प्रदीप के सिंह के अनुसार अत्यधिक विशिष्ट और सुपरफाइन माइक्रोसर्जरी, लिम्फो-वेनस एनास्टोमोसिस ( LVA), लिम्फेडेमा को ठीक करने के लिए अपनी तरह का एक अनूठा इलाज है, चोट लगने की वजह से और/ या कैंसर सर्जरी या फाइलेरिया के मरीज़ों में ये परेशानी आम हो सकती है।
डॉक्टरों ने अमित कुमार को दिए गए ट्रीटमेंट की पूरी जानकारी दी, जो दस साल पहले एक रोड एक्सीडेंट का शिकार हो गए थे और उन्होंने लिम्फ में आई दरार के साथ बाएं ग्रोइन का ऑपरेशन करवाया था, जिसके बाद उन्हें लिम्फेडेमा या एलिफेंटियासिस विकसित होने लगा। कुमार ने बाद के कई सालों में कई डॉक्टरों से सलाह ली, लेकिन उनकी हालत और खराब हो गई; जिसमें उन्होंने दिमागी परेशनी के साथ-साथ चलने फिरने और रोज़मर्रा के कई कामों में समझौता किया, फिर मरीज़ ने एक अत्यधिक विशिष्ट और सुपरफाइन माइक्रोसर्जरी, लिम्फो-वेनस एनास्टोमोसिस (एलवीए) ली जो सफल रही और इससे गुजरने के बाद उन्हें एक नई जिंदगी मिली। वह अब आज़ादी से चल फिर सकते हैं और उन्होंने अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी को फिर से शुरू कर दी है और उसमे सुधार के लिए कई और ट्रीटमेंट्स भी ले रहे हैं। हालांकि, माइक्रोसर्जिकल तकनीकों के आने से और सुपर-माइक्रोसर्जरी के विकास के साथ, इस प्रकार के मरीज़ों के लिए एक नई आशा है।
लिम्फेडेमा के बारे में बात करते हुए, डॉ जोहर ने कहा, “लिम्फेडेमा का इलाज पारंपरिक रूप से डीबुलिंग, एब्लेटिव ट्रीटमेंट के साथ किया जाता था जिसमें वसा और लिक्विड की ज़्यादा मात्रा को फौरन हटा दिया जाता था या लिपोसक्शन के माध्यम से खत्म कर दिया जाता था। दूसरी ओर, ये तरीके शारीरिक पहुंच से बहुत दूर हैं और अक्सर बिगाड़ करने वाले होते हैं या सिर्फ थोड़ी देर की राहत दते हैं। इनके मुकाबले एलवीए नया है, और अब इसे लिम्पेडेमा के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड थेरेपीज में से एक माना जाता है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे पास डॉक्टरों की एक स्पेशल टीम है जो हेल्थकेयर डोमेन में मौजूद नई प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करके सही इलाज देने में माहिर है।”
डॉ. जौहर ने डॉ. प्रदीप के सिंह और डॉ. अंकुर भाटिया सहित डॉक्टरों की ऊंचे लेवल की ट्रेंड टीम का नेतृत्व किया, जिन्होंने सर्जरी की। डॉ. जौहर ने कहा, “इलाज शुरू होने से पहले, उनका बायां पैर गोलाई में 120 सेमी था और वजन लगभग 45 किलोग्राम था। हमने ऑप्टिमल स्टेटस पर जाने के लिए मैनुअल लिम्फैटिक ड्रेनेज थेरेपी, ट्रिपल बैंडिंग और दूसरे तरीकों के साथ पुराने मैनेजमेंट को अपनाया। उन्हें कई लिम्फो-वेनस एनास्टोमोसेस के लिए ले जाया गया था, और उनके पैर की गोलाई 120 सेमी से 112 सेमी तक कम हो गई थी, और सभी अंश दो महीने की सर्जरी के बाद नरम हो गए। फिर हमने रिडक्शन सर्जरी की तैयारी की, और रिडक्शन सर्जरी के दो पायदान के बाद, अब घेरा 65 सेमी हो गया है, और पैर का वजन अब 25 किलोग्राम तक कम हो गया है।”
डॉ कौसर अली शाह, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और हेड, मैक्स हॉस्पिटल-पटपड़गंज ने कहा: “हम टर्शरी केयर, क्वाटरनरी केयर और एक हेल्थकेयर ब्रांड में आगे होने पर गर्व महसूस करते हैं, जो अपने वर्ल्ड लेवल की देखभाल और बेहतरीन क्लिनिकल नतीजों के लिए जाना जाता है। और यह मामला इस बात का सबूत देता है कि कैसे सुपर स्पेशलाइज्ड तरीके न केवल एक इंसान की ज़िंदगी को बदलते हैं बल्कि उसके पूरे परिवार पर असर डालते हैं । मैं इस जीत को हासिल करने और किसी की ज़िंदगी में इस तरह के बदलाव लाने के लिए इलाज करने वाली हमारे डॉक्टरों की टीम को बधाई देता हूं। इस तरह के तरीकों से किया गया इलाज लिम्फेडेमा से परेशान कई और मरीज़ों की मदद करने के लिए ज़रूरी है।”
डॉ. प्रदीप के सिंह, प्रिंसिपल कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ एस्थेटिक, रिकंस्ट्रक्टिव एंड प्लास्टिक सर्जरी, ने कहा, “लिम्फो-वेनस एनास्टोमोसिस एक विशेष सर्जरी है, जहां 0.1-0.2 मिमी व्यास की लिम्फ वाहिकाओं को विशेष सुपर माइक्रोसर्जरी उपकरणों के साथ एक विशेष माइक्रोस्कोप के की मदद से पास की नसों के साथ एनास्टोमोज किया जाता है, और हम पास के ब्लॉक हुए लसीका के रास्तों में बायपास करते हैं और लसीका सीधे वेनस सिस्टम में बहती है।”