- लेखक : मेजर सरस त्रिपाठी
2 वर्ष पूर्व अपनी पेरिस यात्रा के दौरान जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को श्रीमती चार्लोट शॉपीं के विषय में ज्ञात हुआ तो उन्होंने श्रीमती शॉपीं से मिलने की इच्छा व्यक्त की। पेरिस स्थित भारतीय दूतावास के प्रोटोकॉल अधिकारियों ने श्रीमती शॉपीं को प्रधानमंत्री से मिलाने का प्रबंध किया। मिलने के बाद प्रधानमंत्री इतने प्रभावित हुए की उन्होंने श्रीमती चार्लोट शॉपीं के विषय में स्वयं ट्वीट किया। प्रधानमंत्री और दूतावास को इस अद्भुत महिला से मिलने की संस्तुति करने वाले श्री विवेक चिब (इवेंट एंड ट्रैवेल्स के चेयरमैन) भारतीय डाइस्पोरा के जाने-माने चेहरे हैं।
श्रीमती शॉपिंग ने 50 वर्ष की उम्र में योग की साधना शुरू की थी। आज वह 102 वर्ष से अधिक की है और आज भी योग सिखाती है। उनके इस अद्भुत प्रयास और योगदान के लिए भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें देश के चौथे सबसे बड़े सम्मान “पद्मश्री” से सम्मानित किया।
मुझे अपने परिवार और मित्रों के साथ श्रीमती शॉपीं से उस समय मिलने का अवसर प्राप्त हुआ जब वह पद्मश्री लेने के लिए अभी कुछ दिन पूर्व भारत आई थी। वह अपने पुत्र के साथ भारत आई थी जो स्वयं 80 वर्ष के वयोवृद्ध हैं।
आज योग दिवस पर ऐसी महान विभूतियों को याद करना आवश्यक है जो संपूर्ण मानवता की महान धरोहर योग को 102 वर्ष की उम्र साधना कर रही हैं और लोगों को प्रशिक्षित कर रही है। इसके अतिरिक्त वह भारत की महान परंपरा को भी अब पूरे विश्व में और मुख्यतः अपने देश फ्रांस में प्रसारित करने में महान योग दे रही हैं। जहां श्रीमती चार्लोट की प्रशंसा किए बिना कोई नहीं रख सकता वहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने 21 जून को पूरे विश्व में योग दिवस के रूप स्थापित करने में में महान योगदान किया, हम सब की प्रशंसा के अधिकारी हैं।